Wednesday, September 10, 2025
Homeवन विभागवन कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर ऑफिसो में अटैच बीटगार्ड,वनपाल...

वन कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर ऑफिसो में अटैच बीटगार्ड,वनपाल को वन वन्यप्राणी सुरक्षा में लगाये जाने की मांग

वन कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर ऑफिसो में अटैच बीटगार्ड,वनपाल को वन वन्यप्राणी सुरक्षा में लगाये जाने की मांग

पूर्व पीसीसीएफ एच एस मोहन्ता के पत्र का दिया हवाला

मैदानी क्षेत्रों में एक वनरक्षक को पांच-5 बीटों के प्रमार में कार्य सौंपने से वन अपराधों में वृद्धि का मुख्य कारण बताया

 

बैतूल । म.प्र, वन कर्मचारी सुरक्षा एवं पर्यावरण सुधारसंगठन ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर वन महकमे में अवैध कटाई ओर वन्यप्राणियो के शिकार, अतिक्रमण ओर वनो में आगजनी जैसे बढ़ते अपराधों की मुख्य वजहों को उल्लेखित करते हुए मांग की है कि मैदानी कर्मचारियों की पुनर्स्थापना: कार्य करने की सजगता वाले मैदानी कर्मचारियों को उनके मूल पदों पर नियुक्त कर वन, वन्य प्राणियों एवं आग जैसी घटनाओं से वनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए । प्रांताध्यक्ष घनेन्द्र खरे ने पूर्व पीसीसीएफ एच एस मोहन्ता के पत्र का हवाला देते हुए यह भी मांग की है । उन्होंने लिखा है कि यह पत्र वन सुरक्षा से संबंधित एक गंभीर समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करता है। इसमें मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं ।

1. मूल दायित्व से विचलन:
वनरक्षक, वनपाल एवं उपवन क्षेत्रपाल का मूल कार्य वनों की सुरक्षा करना है, परंतु उन्हें विभिन्न वनमण्डल, वृत्त कार्यालय एवं मुख्यालय स्तर पर लिपिकीय कार्यों में लगाया जा रहा है। इससे उनके वास्तविक कर्तव्यों का निर्वाह बाधित हो रहा है।

2. प्रयास और उपलब्धियां:
प्रदेश सरकार द्वारा वनों के विस्तार के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे हरियाली में वृद्धि हुई है। परन्तु, इस उपलब्धि का पूरा लाभ तभी मिलेगा जब वन सुरक्षा के लिए समर्पित अधिकारियों को उनके मूल कर्तव्यों पर वापस लाया जाएगा।

3. प्रशासनिक अवहेलना:
मध्यप्रदेश शासन के वन विभाग द्वारा निरंतर निर्देश दिए जा रहे हैं, परन्तु वृत्त कार्यालयों और वनमण्डल स्तर पर प्रशासनिक आदेशों की अवहेलना हो रही है। इसे अनुशासनहीनता की श्रेणी में रखा गया है।

4. वन अपराधों में वृद्धि:
मैदानी क्षेत्रों में एक वनरक्षक को पांच-5 बीटों के प्रमार में कार्य सौंपा जाना, वन अपराधों में वृद्धि का मुख्य कारण बताया गया है। उदाहरणस्वरूप, टीकमगढ़ जिले में हाल ही में नीलगायों के साथ घटी घटना—जहाँ वन अपराधियों द्वारा करंट लगाकर उन्हें कुएँ में डाल दिया गया—इस समस्या की गंभीरता को दर्शाती है।

5. सुझाव एवं आवश्यकता:

मुखबिर तंत्र को सुदृढ़ करना: वन सुरक्षा में सुधार के लिए सूचना तंत्र (मुखबिर तंत्र) को बढ़ावा देना आवश्यक है।

मैदानी कर्मचारियों की पुनर्स्थापना: कार्य करने की सजगता वाले मैदानी कर्मचारियों को उनके मूल पदों पर नियुक्त कर वन, वन्य प्राणियों एवं आग जैसी घटनाओं से वनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

आवश्यक प्रशासनिक निर्देश: अतः प्रशासन से अनुरोध है कि वन विभाग को उचित निर्देश जारी कर इस दिशा में सुधार सुनिश्चित करें।

प्रशासनिक लापरवाही तथा कर्मचारियों के मूल कर्तव्यों से हटाने की ओर इशारा करता है, जिससे वन सुरक्षा एवं पर्यावरण संरक्षण पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।

यह भी पढ़े

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

अन्य खबरे