पीएचई बैतूल को हाईकोर्ट का निर्देश, कार्य का नाप कर भुगतान करें
बैतूल। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने 24 जनवरी 2025 को एक अहम फैसले में पीएचई विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता देशमुख कृषि एजेंसी द्वारा किए गए शेष कार्य का नाप तुरंत किया जाए और उसके आधार पर रनिंग बिल तैयार कर दो महीने के भीतर भुगतान सुनिश्चित किया जाए। अदालत ने यह आदेश समीक्षा याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया, जिसमें याचिकाकर्ता ने अंतरिम आदेश के तहत किए गए कार्य का भुगतान लंबित होने की शिकायत की थी। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता का काम वैध है और उसे उसके मेहनताने का पूरा अधिकार है।
यह मामला समीक्षा याचिका संख्या 2025 का 61, देशमुख कृषि एजेंसी बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य, से संबंधित था। सुनवाई माननीय न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और माननीय न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ द्वारा की गई।
मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह और कार्तिक जग्गी ने पक्ष रखा, जबकि प्रतिवादी संख्या 1 से 5/राज्य की ओर से सरकारी वकील ऋत्विक पाराशर उपस्थित रहे। यह याचिका पहले पारित आदेश दिनांक 22 नवंबर 2024 की समीक्षा के लिए दायर की गई थी, जिसमें अदालत ने निविदा प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था।
याचिकाकर्ता ने अदालत में यह तर्क दिया कि रिट याचिका लंबित रहने के दौरान, 9 अगस्त 2023 को दिए गए अंतरिम आदेश के तहत उसने शेष कार्य जारी रखा। 30 अक्टूबर 2024 तक महत्वपूर्ण कार्य पूरा कर लिया गया था और इस बारे में समय-समय पर उचित प्राधिकारी को सूचित भी किया गया था। याचिकाकर्ता ने अदालत से निवेदन किया कि उसने जो कार्य किया है, उसका भुगतान उसे किया जाए।
अदालत ने मामले पर विचार करते हुए कहा कि रिट याचिका खारिज होने तक याचिकाकर्ता द्वारा किए गए कार्य का माप किया जाना चाहिए। इसके लिए प्रतिवादी पक्ष को निर्देश दिया गया कि वे याचिकाकर्ता के काम का माप करें और माप के आधार पर रनिंग बिल तैयार करें। इसके बाद दो महीने के भीतर याचिकाकर्ता को भुगतान किया जाए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि प्रतिवादी यह मानते हैं कि याचिकाकर्ता ने कार्य किया है और वह भुगतान का हकदार है, तो उसे जल्द से जल्द भुगतान किया जाना चाहिए।
सुनवाई के दौरान यह भी कहा गया कि 22 नवंबर 2024 को पारित आदेश के तहत याचिकाकर्ता को निविदा दस्तावेज के खंड 12 के अनुसार सक्षम प्राधिकारी के समक्ष आवेदन करने की छूट दी गई थी। अदालत ने दोहराया कि यह आदेश पहले के आदेश के साथ पढ़ा जाएगा और याचिकाकर्ता को वैकल्पिक उपाय अपनाने का अधिकार होगा।
इस निर्णय के साथ उच्च न्यायालय ने समीक्षा याचिका को निस्तारित कर दिया। यह मामला M/S देशमुख कृषि एजेंसी और मध्य प्रदेश राज्य के बीच निविदा प्रक्रिया और भुगतान विवाद से संबंधित था। अदालत ने यह सुनिश्चित किया कि याचिकाकर्ता को उनके काम का न्यायोचित भुगतान मिले और विवादों का समाधान हो।