Wednesday, September 10, 2025
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कॉलेज नहीं होने से पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर हो रही छात्राएं,जिले का सबसे बड़ा ब्लॉक प्रभात पट्टन महाविद्यालय से वंचित

कॉलेज नहीं होने से पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर हो रही छात्राएं,जिले का सबसे बड़ा ब्लॉक प्रभात पट्टन महाविद्यालय से वंचित

 

भीम सेना ने प्रधानमंत्री के नाम तहसीलदार को सौंपा ज्ञापन

प्रभात पट्टन तहसील में शीघ्र महाविद्यालय खोलने की मांग

बैतूल। जिले का सबसे बड़ा ब्लॉक कहलाने वाला प्रभात पट्टन तहसील महाविद्यालय से वंचित है, जिसके चलते यहां के गरीब तबके के छात्र छात्राओं को आगे की पढ़ाई के लिए परेशान होना पड़ रहा है। बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं पास होकर निकल रहे हैं, लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए महाविद्यालय न होने के कारण मजबूरन उन्हें पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर होना पड़ता है। इस समस्या पर ध्यानाकर्षण करने के लिए भीम सेना संगठन ने बुधवार को प्रधानमंत्री के नाम तहसीलदार प्रभात पट्टन को ज्ञापन सौंपकर प्रभात पट्टन तहसील मुख्यालय पर महाविद्यालय खोलने की मांग की है।
ज्ञापन के माध्यम से भीम सेना के जिलाध्यक्ष हर्षांत माथनकर ने बताया कि वर्तमान में प्रभात पट्टन बैतूल जिले का सबसे बड़ा ब्लॉक है जिसमें लगभग 65 ग्राम पंचायत के आती है और प्रभात पट्टन तहसील भी है।लेकिन, प्रभात पट्टन मुख्यालय पर शासकीय महाविद्यालय नहीं होने के कारण मुलताई स्थित महाविद्यालय में जाना पड़ता है और इसकी दूरी करीब 30 से 40 किलोमीटर हो जाती है। यह दूरी बस या निजी वाहन से तय करना पड़ता है, इतनी दूरी प्रतिदिन बस से तय करने से छात्र-छात्राओं की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ रहा है जिसके कारण विद्यार्थी प्रतिदिन कॉलेज नहीं जा पा रहे जो कि अत्यधिक गंभीर विषय है। भीम सेना संगठन के प्रदेश प्रभारी पंकज अतुलकर ने बताया कि महाविद्यालय की समस्या के चलते अधिकतर छात्राएं उच्च शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह जाते है। शासकीय महाविद्यालय मांग को लेकर क्षेत्र की जनता जनप्रतिनिधियों से कई बार मांग कर चुकी, लेकिन आम जनता को सिर्फ निराशा ही हासिल हुई। स्थानीय नागरिकों ने कई बार शासन प्रशासन को ज्ञापन देकर कॉलेज की मांग की लेकिन आज तक कोई घोषणा नहीं की गई। यदि शासकीय महाविद्यालय क्षेत्र को मिलता है तो प्रतिवर्ष सैकड़ों बच्चों को इसका लाभ मिलेगा बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। ज्ञापन सौंपने वालों में गौतम उबनारे, कमल नागले, दुर्गेश बचले, सोनू बचले, योगेश नागले, राकेश बचले, मोइन खान, मनोज येवले, सूरज बचले, रवि बचले, शुभम बचले, तब्बू बचले, पंकज बचले, रोशन नागले, सूरज नायक उपस्थित थे।

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डागा फाउंडेशन ने किया कोरोना काल के जांबाजों का सम्मान जान की परवाह किये बिना बचाई थी हजारों जान बैतूल। कोरोना के कोहराम के बीच अपनी जान की परवाह किये बिना लोगों के जीवन की रक्षा करने वाले वीर योद्धाओं को डागा फाउंडेशन द्वारा जीवन रक्षक सम्मान से नवाजा गया। रविवार शाम 7 बजे जैन दादावाड़ी परिसर में श्रीमती स्व.कमला बाईज डागा, स्व.प्रमोद डागा, स्व.विनोद डागा की स्मृति में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। गौरतलब है कि आज से ठीक तीन साल पहले ख़ौफ़नाक बीमारी कोरोना का ऐसा कोहराम मचा था कि, लाखों की संख्या में लोगों ने अपनी आंखों के सामने अपनों को मरता हुआ देखा था। किसी ने अपना बेटा खोया तो किसी ने अपना पिता, हालात कुछ इस तरह हो चुके थे कि, कई मासूमों के सिर से माता पिता दोनों का साया उठ चुका था। अस्पताल की दीवारें लोगो के कृदन और रुदन से गूंज रही थी। शमशान में आग ठंडी नहीं हो पा रही थी। कब, कौन,किस वक्त इस जानलेवा बीमारी का शिकार हो जाये ये सोच सोच कर ही लोग दहशत का जीवन जीने पर मजबूर हो चुके थे। इस सबके बीच समाज का एक तबका ऐसा भी था जो अपनी जान और अपनों की परवाह किये बिना लोगों का जीवन बचाने में पूरी ताकत से जुटा हुआ था। इस तबके के साहस का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि, हजारों की संख्या में लोगों का जीवन बचाने में ये कामयाब भी हुए। ऐसे ही जांबाजों के साहस को प्रणाम करते हुए शैक्षणिक संस्था डागा फाउंडेशन ने इस वीरता का एक एक कर सम्मान किया। इसमें कोई दो मत नहीं है कि वाकई में कोरोना काल में जी जान से लगे ये कोरोना योद्धा वास्तविक सम्मान के हकदार है। आयोजित कार्यक्रम के दौरान बैतूल विधायक निलय विनोद डागा एवं डागा फाउंडेशन की संचालक श्रीमती दीपाली निलय डागा ने पूर्ण श्रद्धा के साथ कोरोना योद्धाओं को सम्मानित किया। — साहसी कोरोना योद्धाओं को मेरा सेल्यूट:निलय डागा– इस अवसर पर बैतूल विधायक निलय डागा ने वो समय याद करते हुए भावुकता के साथ कहा कि आम नागरिकों के लिए कोरोना काल काफी तकलीफ देह रहा, क्योंकि मेरे परिवार ने भी यह त्रासदी झेली है। मरीजों से भरे अस्पताल, लोगों में इस जानलेवा बीमारी का भय, शमशानों से उठते धुएं ने लोगों को एक अनजाने भय से भर दिया था। वो वक्त जब लोग एक दूसरे के पास जाने से कतरा रहे थे, उस वक्त सामने बैठे ये वीर योद्धा अपने परिवार, अपनी जान की परवाह किये बिना उन मरीजों की सेवा में जुटे थे, जिन्हें कोरोना बीमारी ने घेर रखा था। ऐसे वीर योद्धाओं को मैं प्रणाम करता हूँ। डागा फाउंडेशन की संचालक श्रीमती दीपाली निलय डागा ने डॉक्टर्स और नर्सेस को धरती का भगवान निरूपित किया। उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी त्रासदी के बीच, प्रत्येक डॉक्टर, नर्स, वालिंटियर सहित इन वीर योद्धाओं ने समाज के भीतर समाज सेवा की जो मिसाल पेश की है, उसकी तारीफ में शब्द भी कम पड़ रहे हैं। ऐसे वीर योद्धाओं को मेरा सेल्यूट है। — इन योद्धाओं को किया गया सम्मानित– इस अवसर पर कोरोना काल में अपनी जान की परवाह किए बगैर फ्रंटलाइन में रहकर जनता की सेवा करने वाले डाक्टर्स, मेडिकल आफिसर, आयुष अधिकारी, आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी, होम्योपैथी चिकित्सा अधिकारी, बी.एम.ओ., स्टाफ नर्स, नर्सिंग आफिसर सी. एच.ओ., ए. एन. एम. ए. पी. डबल्यू, मेडिसन सप्लायर, एल.एच.वी., सेक्टर सुपरवाइज़र, मेट्रन, एम.आर., मेडिकल दवाई विक्रेता, रक्तदाता, न्यूट्रीशियन फुड सप्लायर, आक्सीजन सप्लायर, सर्जीकल सप्लायर, आयुर्वेदिक ओषधि विक्रेता, ए.एम.ओ., ए.एच.एम., रेडियोग्राफर, बी. पी. एम., स्टुवर्ड, डी.पी.एम., एम.एन.डी., डी.सी.एम., एफ.डी., बायोकेमिस्ट फार्मासिस्ट, ड्रेसर, कम्पाउण्डर, लैब टेक्नीशियन, ब्लड सैंपल संग्रहक, कम्प्यूटर आपरेटर, संगणक, लैब सहायक, इलेक्ट्रीशियन, एम्बुलेंस चालक, कुक, सुरक्षा गार्ड, स्टोर कीपर, डी.डी.सी., सपोर्ट स्टाफ, आशा, आंगनवाडी कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी सहायिका, औषधालय सेवक, क्लीनर, वार्ड बाय, भृत्य सहित कोरोना काल के सभी योद्धाओं को जीवन रक्षक सम्मान से सम्मानित किया गया। — आसान नहीं था अदृश्य शत्रु से मुकाबला करना– वैश्विक महामारी के दौर में अदृश्य शत्रु से मुकाबला करना कोई आसान बात नहीं थी, महामारी की रोकथाम में सभी फ्रंटलाइन वर्करों की महत्ती भूमिका रही है। स्वास्थ्य विभाग व अन्य सभी क्षेत्रों के कर्मियों ने कोरोना काल में बड़ी एकजुटता के साथ दिन-रात समर्पण भाव से कार्य किया था। जिसके चलते कोरोना को नियंत्रित कर लिया गया। पूरा देश कोरोना से बेहाल था, ऐसी परिस्थिति में कोरोना काल के सभी फ्रंटलाइन वर्करों ने दिन-रात समर्पण भाव से काम किया, जिसके चलते आज हम सुरक्षित हैं। इन कोरोना-योद्धाओं की जितनी भी सराहना की जाए, वह कम है, ये सभी योद्धा अपने कर्तव्य की सीमाओं से ऊपर उठकर, अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर लोगों की जान बचाते रहे और आवश्यक सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करते रहे। ऐसे कोरोना के योद्धा निस्वार्थ सेवा के प्रेरक उदाहरण हैं।
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