Wednesday, September 10, 2025
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भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा तीन सौ करोड़ का गढ़ा डैम,निर्माणाधीन डैम का बड़ा हिस्सा बहा

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा तीन सौ करोड़ का गढ़ा डैम,निर्माणाधीन डैम का बड़ा हिस्सा बहा

किसानों की फसलें हुई बर्बाद,सर्वे नही होने से किसानों की मुसीबत बढ़ी

बैतूल । अकील अहमद (अक्कू)मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार आम बात हो गई है। कांग्रेस लगातार शिवराज सरकार पर पचास प्रतिशत कमीशन लेने के आरोप लगा रही है। कांग्रेस के लगाए गए आरोपों सच साबित होते नज़र आ रहा हैं। ताजा मामला बैतूल में 307 करोड़ रुपए से निर्मित हो रहे गढ़ा डैम का है डेम का एक बड़ा हिस्सा बारिश में बह गया है। डैम फूटने से बाढ़ के पानी ने कई किसानों के खेतों में लगी फसलों को काफ़ी नुकसान पंहुचाया है। क्षेत्रीय किसानों ने ठेकेदार सहित अधिकारियों पर निर्माण में बड़ी लापरवाही बरतने के आरोप लगाए है।
बैतूल के गढ़ा ग्राम में हैदराबाद की मेंटेना कंस्ट्रक्शन कंपनी 307 करोड़ की लागत से डैम का निर्माण कर रही है। कंपनी और जलसंसाधन विभाग की मिलीभगत से निर्माण में बड़ी लापरवाही बरती गई हैं। किसान भद्दु झर्रे बताते है कि डेम निर्माण में लगी कम्पनी ने जब ले आऊट डाला था तभी हम किसानों ने इसका विरोध किया था हमने अधिकारियों से कहा था कि पानी का बहाव आप रोकेंगे तो यह पानी खेतो में आएगा ज़रूर ।मेरी 90 डिसमिल ज़मीन बची बाकी ज़मीन डूब में चली गई मुआवजा भी हमे कम मिला ।इसी डेम साइट पर काम करने वाले मजदूर ललित नारायण ने बताया कि मैंने एक माह काम किया कम्पनी द्वारा पेड़ो को काटकर ठूंठ ठंगड यंही दबा दिए इसके अलावा काली मिट्टी में के परत नदी से निकली जीएसबी डाली जो कि इसी नदी से रात में निकाल कर मिलाई जाती थी उसके बाद एक लेयर मिट्टी और एक लेयर कोपरा डाल कर कामप्रेस करते थे मैंने ठूंठ नही निकाले जाने की बात कही तो मुझे मजदूरी से हटा दिया गया ।इस किसानों ने कंपनी और अधिकारियों को कई बार निर्माण में लापरवाही की शिकायत भी की लेकिन किसानों की आवाज़ किसी ने नही सुनी जिसका नतीजा यह हुआ कि स्ट्रक्चर से लगा हुआ लगभग 6 मीटर हाइट का 50 मीटर लम्बा एक बड़ा हिस्सा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया, वंही बाढ़ के पानी से दर्जनों किसानों की फसलें बर्बाद हो गई है।

यतीन्द्र सोनी जो कि एक जागरूक नागरिक है वह बताते है कि डैम निर्माण में डूब क्षेत्र के किसानों के साथ सीधा भ्रष्टाचार का हुआ उन्होंने कहा कि डैम निर्माण स्थल का चयन गलत जगह किया गया है जिसका विरोध शुरू से ही किसान करते आए है, जंहा नदी का बहाव आता है वंहा कांक्रीट का कार्य नही किया गया जिससे पहले ही पानी मे डैम का बड़ा हिस्सा बह गया है। किसानों का आरोप है कि निर्माण में भ्रष्टाचार हुआ जिससे डैम बह गया ।
इधर जल संसाधन विभाग के एसडीओ भूपेंद्र सूर्यवंशी कहते है कि हमने 6 मीटर भराव कर नदी के बहाव को रोका नही तो ओर तबाही होती जल संसाधन विभाग के
अधिकारियों का तकनीकी ज्ञान भी सुन लीजिए। एसडीओ यह भी बता रहे हैं कि ज्यादा नुकसान रोकने के लिए मिट्टी का अर्थ वर्क किया गया था जो बाढ़ का पानी अपने साथ बहा कर ले गया। किसानों के नुकसान की भरपाई विभाग से करवाने की बात कर रहे है। लेकिन ठेकेदार को क्लीनचिट दी जा रही है। इससे साफ़ जाहिर होता है की भ्रष्टाचार में सब संलिप्त है। देखना ये होगा कि इस मामले में प्रशासन जिम्मेदारों पर कार्यवाही तय करता है या फिर आने वाले समय मे यह डैम इसी प्रकार फूटेगा।

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