मध्यप्रदेश के बैतूल में पेसा कानून के तहत ग्रमीणों ने किया पत्थल गढ़ी,पत्थल गढ़ी के बाद सरकारी अमले समेत बाहरी व्यक्तियों पर गांव में प्रवेश प्रतिबन्धित
विश्व आदिवासी दिवस पर ग्रामीण आदिवासियों का बड़ा फैसला,कलेक्टर बोले सरकार तो विकास करना चाहती है ,ग्रामीण नही चाहेंगे तो उनकी बात सरकार तक पहुंचा देंगे
शीतल झिरी से लौट कर अकील अहमद
मध्यप्रदेश प्रदेश के बैतूल में आज विश्व आदिवासी दिवस पर पेसा कानून में मिले अधिकार के बाद आदिवासियों ने बड़ा कदम उठाते हुए पत्थल गढ़ी के दिया है । आदिवासियों के इस फैसले के बाद शीतल झिरी गांव सरकारी महकमे के अधिकारी कर्मचारी ओर बाहरी व्यक्तियों के गांव प्रवेश पर रोक लगा दी है ।पेसा कानून लागू होने के बाद प्रदेश का यह पहला जिला है जंहा इस तरह का फैसला लिया है । दरसल आदिवासियों ने सरकार पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए कहा कि माचना नदी पर बन रहे शीतल झिरी बांध से
1200 एकड़ जमीन डूब क्षेत्र में जा एगी साथ ही पर्यवरण को बड़ा नुकसान होगा यही नही सरकार ने वादा खिलाफी करते हुए इस बांध का मुलताई मे भूमि पूजन भी कर दिया ।बांध के निर्माण से आठ गांवों के किसान पिछले एक साल से बांध निर्माण का विरोध कर रहे हैं. 2023 विधानसभा चुनाव के समय भी जब बांध निर्माण का विरोध कर रहे आदिवासियों ने मतदान का बहिष्कार भी कीट था ।हाल ही में 4 जुलाई को यह आंठ गांव पीडित आदिवासी कलेक्टर से मिले और राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा था इसके बाद जिला कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी ने आदिवासियों को कहा था सरकार विकास करना चाहती है आप लोग बांध नही चाहते हो तो आपकी बात सरकार रक पहुंचा
दी जायेगी ।