63 की उम्र में भी गजब का जज़्बा,150 वी बार किया रक्तदान
सुबह से शाम तक दीन दुखियों की मदद में गुज़रता है दिन
बैतूल ।63 की उम्र में भी जज़्बा युवाओं जैसा जी हां हम बात कर रहे है नगर के एक ऐसे समाज सेवी की जिन्होंने विश्व रक्तदान दिवस पर आज 150 वी बार रक्तदान किया है ।रक्तदान पर इन्हें प्रदेश ही नही अन्य प्रदेशो में भी सम्मानित किया जा चुका है ।
जिले ही नही वरन अन्य प्रदेश में भी रक्तदान के क्षेत्र में अपना
लोहा मनवाने वाले सतीश पारख एक चलता फिरता ब्लड बैंक है ।सतीश पारख की दिनचर्या में शामिल है कि वह सबसे पहले अस्पताल ओर फिर अन्य ऐसे स्थान जंहा ज़रूरत मन्द मिल जाये वन्ही उनकी मदद को तैय्यार हो जाते है ।
सतीश पारख के दो पहिया वाहन कि डिक्की में दीन दुखियो के लिए हमेशा कुछ न कुछ मौजूद रहता है यदि उनके पास ज़रूरत के हिसाब से मौजूद नही तो तुरंत ही वह कंही न कंही से खरीदक मदद का प्रयास करते है ।
1978 से कर रहे रक्तदान
सतीश पारख ने 150 बार रक्त दान का आंकड़ा ऐसे ही नही छुआ है श्री पारख 1978 से रक्त दान करते चले आरहे है तब जा कर आज इस मुक़ाम पर पहुंचे ।कई विघ्न सन्तोषी उनके इस आंकड़े को नही मानते है उनके जवाब के लिए भी सतीश पारख सदैव तैयार रहते है ।श्री पारख के पास मध्यप्रदेश के अलावा राजस्थान और छत्तीसगढ़ डोनर्स कार्ड और सैंकड़ो प्रमाण पत्र मौजूद है ।श्री पारख कहतें है जिसे जब देखना हो देख सकता है ।
लॉक डाउन में की भरपूर सेवा
सतीश पारख की सेवा लॉक डाउन में सबसे ज़्यादा देखने को मिली
पहले लॉक डाउन में अपने घरों को लौटने वाले राहगीरों को भोजन पानी और चप्पल जूते उप्लब्ध कराए ।इसके अलावा जिला अस्पताल में मेडिकल स्टाफ सफाई कर्मचारी की भरपूर सेवा की ।कोरोना पॉज़िटिव मरीजो को घर पहुंच सेवा भी प्रदान की ।
कोरोना काल मे पत्रकारो का भी रखा ख्याल
कोरोना काल मे जब सब घरों में कैद थे और पत्रकार रिपोर्टिंग के लिए घर से बाहर रहते थे कंही चाय पानी बिस्किट की भी व्यवस्था नही होती थी ऐसे मे एक मात्र सहारा सतीश पारख ही थे जिन्होंने पत्रकारो का पूरा ख्याल रखा ।श्री पारख घर से चाय बिस्किट ओर पानी लाकर पत्रकारो को उपलब्ध कराते थे ।